साख तो अपनी तुम बचालो
किसी कार्य को असंभव कहके,खुदी को गुलाम क्यों करते हो।
शत्रु से डटके मुक़ाबला करो,हारकर सलाम क्यों करते हो।।
मौत अरे आनी है एकदिन,साख तो अपनी तुम बचालो।
गीदड़-से डरके भागते हो,खुली यूँ लगाम क्यों करते हो।।
आलोचकों पर गुस्सा मत कर,कमियाँअपनी तुम दूर करो।
होंगी तारीफ़ें जमके यहाँ,खुद को पहले मशहूर करो।।
चट्टानों को हटाए झरना,काँटों में खिलता वो गुलाब।
तूफ़ानों से डरके न बैठों,कायरता दूर ज़रूर करो।।
–आर.एस.प्रीतम
दिनांक:28जुलाई,2019