साखी
कितने सतरंग दिखाये तू साखी.
पल पल मस्त सताये तू साखी.
देख तेरी चाल वक्त भी है खोया.
देख तुझे तेरी परछाई मे है सोया.
मिला जो एक भर प्रेम मधु हाला.
छक पीकर जी भर खोया प्याला.
रीति छोड़ पर प्रीति बन्ध खुल गये
मतवाले ऐसे अपने ही जुदा हो गये
वक्त सबक नया सिखाने अब लगा
वास्तविकता का बोध कराने लगा
डॉ मधु त्रिवेदी