*साक्षात् शक्ति का रूप है नारी*
कभी माँ तो कभी पत्नी है नारी ,
कभी बहन तो कभी बेटी है नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।
कभी फूल तो कभी शोला है नारी ,
कभी दुर्गा तो कभी काली है नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।
एक सिक्के के दो पहलू नर और नारी ,
बनते एक दूजे के पूरक नर और नारी ।
मत समझना नारी को कमजोर ,
साक्षात् शक्ति का रुप है नारी ।।