— साक्षात्कार —
जरुरी नही कि ये
किसी काम से ही किया जाए
कभी कभी अपना
साक्षात्कार उस रब के
सामने भी तो दिया जाए
किस कदर की चाहत
रखता है प्राणी
इस बात का खुद से भी तो
साक्षात्कार दिया जाए
उस को भी तो पता चले
कि हम उस के सामने क्या हैं
कितना इस आत्मा से
मिलन की आस रखते हैं
क्या जब दुःख आएगा
उतनी ही आदत मन में रखते हैं
करो बन्दगी उस की
चाहे दिन हो या रात
उस का रहे आसरा हम पर
उस का आशीर्वाद रहे सदा साथ
इतना सा ही साक्षात्कार
हम सब के लिए काफी है
जरुरी नही की बाहर जाया जाए
उस को मन मंदिर में रखना
बेहद और अत्यंत जरुरी है
देखो आप हर परीक्षा में
उस के सहारे पास हो जाओगे
दुनिया से दूर होकर
प्रभु के पास और पास हो जाओगे
अजीत कुमार तलवार
मेरठ