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28 Jun 2024 · 3 min read

साक्षात्कार – पीयूष गोयल

पीयूष जी के बारे में और उनके कार्यों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करते हैं-

१.पीयूष जी, आप अपने बारे में बतायें?

पीयूष- जी मेरा नाम पीयूष कुमार गोयल है! मैं 10 फरवरी 1967 को दादरी में माता रवि कांता गोयल,पिता डॉ देवेंद्र कुमार गोयल के यहाँ पैदा हुआ था। पेशे से मैं एक यांत्रिक अभियंता हूँ और लगभग 2७ वर्षों का विभिन्न कम्पनियों में काम करने का अनुभव है। बचपन से ही कुछ नया करने की लगन ने मुझे कार्टूनिस्ट, लेखक और एक मोटीवेटर बना दिया। क्रिकेट अंपायरिंग का शौक रखता हूँ और दर्पण छवि का लेखक भी हूँ। २.आप विभिन्न चीज़ों के सँग्रह करने का भी शौक रखते हैं?

पीयूष- जी, मैं सन 1982 से सँग्रह कर रहा हूँ सबसे पहले मैंने डाक टिकटें सँग्रह करना शुरू किया धीरे-धीरे और अन्य चीज़ों का सँग्रह करना शुरू कर दिया जैसे माचिस सँग्रह, सिगरेट सँग्रह, डाक टिकट सँग्रह, ऑटोग्राफ सँग्रह, पेन सँग्रह, प्रथम दिवस सँग्रह, सिक्के व नोट सँग्रह मेरे पास हैं। इसके अलावा गणित मेरा प्रिय विषय है और मेरे 3 पेपर इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं।

३.आप दर्पण छवि के लेखक हैं। आप कौन-कौन सी पुस्तकें लिख चुके हैं?

पीयूष- जी, मैं अब तक 17 पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुका हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता हिंदी व अंग्रेज़ी भाषा में, मेहंदी कोन से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र, कील से पीयूषवाणी व सुई से मधुशाला को लिखा है। सुई से लिखी पुस्तक दुनिया की पहली पुस्तक है, जो सुई से लिखी गई है।

४.आपकी कौन-कौन सी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं?

पीयूष- जी, मेरी 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। पहली पुस्तक “गणित एक अध्धयन” दूसरी पुस्तक “इजी स्पेलिंग” तीसरी पुस्तक “पीयूषवाणी” अभी हाल ही में चौथी पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही”।

५.आपकी पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” के बारे में बतायें?

पीयूष- जी, मेरी चौथी पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” मेरे अपने 110 विचारों का सँग्रह है जो पुस्तक के रूप में आपके सामने है। मेरा सोचना ये है कि मेरे अच्छे विचारों से किसी की जिंदगी में सकरात्मकता ही आ जाये तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सफल रहा। मैं अपने प्रिय पाठकों से कहना चाहूँगा कि यह पुस्तक एक बार अवश्य पढ़े। ऑनलाइन उपलब्ध है। अंत में यह अवश्य कहना चाहूंगा “जिंदगी को जीना है, सोचना तो पड़ेगा ही और जीने (सीढ़ियाँ) तो चढ़ना पड़ेंगे”।

६.पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” के कुछ विचार?

पीयूष-

१. जिंदगी को अगर किसी का सहारा लेकर जिओगे एक दिन हारा हुआ महसूस करोगे।
२. किसी काम को करने की नीयत होनी चाहिये टालने से काम नहीं चलने वाला।
३.आपके सपनों में बहुतों के सपने छिपे हैं अपने सपने पूरे करो।
४.सोचना मेरी आदत…लगन मेरा समर्पण… जिद्द मेरी सफलता।

७. पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” को आप कई अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित कर रहे हैं इस के बारे में बतायें?

पीयूष- जी, पुस्तक प्रकाशित करवाना और पुस्तक की Marketing करना दो अलग अलग-अलग बातें हैं मुझ से कई लोगों ने फ़ोन करके पूछा आप अपनी पुस्तक की मार्केटिंग करना चाहते हैं? मैंने बोला कितने पैसे लगेंगे? सभी ने बहुत महँगा बताया। लेकिन मैं मन ही मन कुछ सोच रहा था। मुझे एक प्रकाशक मिले मेरी उनसे बात हुई और मैंने उनसे कहा मुझे “सोचना तो पड़ेगा ही” कम से कम १७ भाषाओं में चाहिए। उन्होंने हाँ कर दी। अभी पुस्तक हिंदी के अलावा ४ अन्य भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है और आगे काम जारी है। ये भी एक तरह से पुस्तक की मार्केटिंग ही है। आज के इस दौर में सोशल मीडिया का भी फ़ायदा मिल रहा हैं। १७ भाषाओं में पुस्तक प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि भारतीय नोट पर (१५+२) भाषाएँ हैं। इसलिए मैं अपनी पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” को १७ भाषाओं में प्रकाशित करवा रहा हूँ।

८.आप मोटिवेशन स्पीकर हैं कोई एक ऐसी बात साझा करें जो हर किसी के काम आए।

पीयूष- जी जरुर, दुनिया नतीजे को सलाम करती है पर प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती है। और हाँ, ज़िंदगी में दो चीज़ होती हैं “YES” और “NO”. अगर ज़िंदगी में आपको “yes” मिले तो खुश अगर “No” मिले तो कभी घबराना नहीं। “No” का मतलब “Next Opportunity” है। मतलब, आपकी ज़िंदगी में अभी अच्छा होना है।

Language: Hindi
12 Views
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