साक्षात्कार- पीयूष गोयल दर्पण छवि लेखक
लैपटॉप और टैब की दुनिया में किताबों की ख़ुशबू अब कुछ लोगों तक सीमित रह गई है! इन कुछ लोगों के वजह से ही पीयूष गोयल जैसे रिकॉर्ड होल्डर लेखक समाज के लिए अनोखा कारनामा कर रहे हैं! हम जिस पीयूष गोयल की बात कर रहे, उन्होंने सुई और कील से किताब लिखने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है! आज बातचीत में पीयूष गोयल से हुए सवाल जवाब का सिलसिला कुछ ऐसा रहा:- 1. आपने किताब लिखने की अग़ल प्रथा शुरू की, जिससे आज हर कोई अचंभित है! ये कला आपने कहाँ से सीखी? -. हाँ ये तो हैं लिखने की एक अलग प्रथा तो हैं मुझे नहीं पता था ऐसा भी होगा लोग इस काम को इतना पसंद कर रहे हैं की क्या बताऊँ मन बहुत प्रसन्न हैं ईश्वर की जैसी इच्छा ….मैंने दर्पण छवि में लिखना सन १९८७ में शुरू किया पर पुस्तकें २००३ से शुरू की और २००३ से २०२२ तक १७ पुस्तकें दर्पण छवि में हाथ से लिखी गई हैं आज पूरी दुनियाँ पूछ रही हैं और अचंभित भी हैं 2. मिरर इमेज में लिखना आपके लिए कितना चुनौती पूर्ण था? क्या इसके लिए आपने तैयारी की थी? दर्पण छवि में लिखना हाँ चुनौतीपूर्ण तो था पर मेरी आदत रही हैं चुनौती पूर्ण कार्य को हाथ में लेना और अच्छी तरह से पूरा करना,अपने आप से आत्मसाक्षात्कार करना,प्रतिबद्धता,और इस तरह हिन्दी व इंगलिश दोनों भाषाओं में दर्पण छवि लिखने का अभ्यस्त हो गया और आज कल द्विविमीय लिखने का प्रयास कर रहा हूँ ,कोई भी काम बिना तैयारी से पूरा नहीं होता हैं सबसे बड़ी बात ये थी की आप एक नया काम कर रहे हैं सबके सामने आप अभ्यास नहीं कर सकते आपको एकांत स्थान चाहिये जो मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती थी और दूसरी समय की, जिनको मैंने अच्छे से प्रबंध किया.
3. अभी भी कुछ लोगों का मानना है कि आपके अंदर ये कला जन्मसिद्ध हैं! आपका इस पर क्या कहना है? नहीं,जन्मसिद्ध नहीं हैं, सोचा कुछ नया करने की अभ्यास किया सफल हुआ और नतीजा आपके सामने हैं 4. आपके द्वारा लिखी गई चीजें म्यूज़ियम में अनगिनत लोगों की साक्षी बन रही हैं? इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? ये बहुत आसान नहीं था हाँ ईश्वर के आशीर्वाद से म्यूजियम में रखी पुस्तकें साक्षी बन रही हैं निश्चित रूप से मैं बहुत खुश हूँ 5. आप युवा लेखकों को क्या संदेश देना चाहेंगे? युवाओं को ये ही संदेश देना चाहता हूँ जनूनी बनो,अपने सपने पूरे करो अच्छे काम से अपना अपने परिवार का अपने क्षेत्र का समाज का देश का नाम रोशन करो.