1/14) *साकेत सौरभम्*
श्री राम की अविरल सुषमा।(अविरलभजनाऽभिषेकम्)
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गीत – प्रीत के गाना है जीवन के रथ पर चढ़कर
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।
वो ज़िन्दगी ही क्या कि जिसमें मिले न हों श्री राम अगर
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।।१।।
राम प्रीत के चिर पथिक हैं,श्रीराम सिया के फुलवारी
शाश्वत नायक हिन्द राष्ट्र के, श्री राम हैं सरहद रखवारी
प्रीत निभाये जग जीवन में स्वर्णिम सिय प्रतिमा धरकर।
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।।२।।
प्रीति पंथ के हस्ताक्षर जो, श्री राघव भूखे भावों के
मिथिलेश दृगों के अमिटाक्षर जो,स्वर्णाक्षर सिय पथ राहों के
जो पाने को श्री- सिय जयमाल, तोड़ दिये शिव धनु जाकर।
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।।३।।
राम त्याग के पथ हैं अविरल,मिले सिया को त्यागों से
सिय रागों से अनुरागों से,रघुनंदन को सिय भागों से
सिया-राम जीवन सरिता सम,ये तट धारा के युग्म प्रखर ।
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।।४।।
श्वास हृदय की हों श्री राम,राम से ही स्पंदित धड़कन
राम सार हों जीवन के, जीवन हो राघव को अर्पन
अन्त समय अविरल वेला में,श्री राम जपें हर पल ये अधर।
चलो लिखें नवगीत कोई श्रीराम सा हो जीवन की डगर।।५।।
पं.आशीष अविरल चतुर्वेदी
“रसराज”
प्रयागराज
स्वरचित पूर्णतः
मौलिक अप्रकाशित।