नफ़रत
व्यंग्य
नफरत
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आइए! नफरत का मान बढ़ाते हैं
इसे लोकतांत्रिक बनाते हैं,
नफरत के साथ नफरत का
अभियान चलाते हैं।
नफरत से नफरत करने वालों के खिलाफ
मिलकर झंडा बुलंद करते हैं,
नफरत को जो एक आग बता रहे हैं
उनका वहिष्कार करते हैं।
जिन्हें नफरत की समझ ही नहीं है
बुराई वही कर रहे हैं,
जो नफरत को समर्पित हैं,
वे तो मजा कर रहे हैं।
शान्ति के माहौल को अशांत करने का
सुख उन्हें क्या पता है दोस्तों
जिनका रिश्ता ही शान्ति से बहुत मजबूत है,
जिन्हें नफरत के नाम से ही बहुत चिढ़ है।
बस! यही चिढ़ हमें मिटाना है,
नफरत को उसका सम्मान जनक स्थान
हम सबको मिलकर ःदिलाना है,
हर किसी के मन मेंं बड़े प्यार से
नफरत का भाव जगाना है,
खुद भी नफरत से लगन लगाना है,
नफरत को लोकतांत्रिक अधिकार दिलाना है
नफरत का बोलबाला हो दुनियां समाज में
ऐसा माहौल हम सबको बनाना है,
नफरत का झंडा फहराना है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित