सांसों से आईने पर क्या लिखते हो।
सांसों से आईने पर क्या लिखते हो,
गर है इश्क़ हमसे तो क्यों ना कहते हो।
यूँ कब तक दिल को अपने रोकोगे,
छोड़ हया हमसे तुम क्यों ना मिलते हो।।
ऐसा भी क्या हो गया है तेरे साथ,
जो खुद की परछाई से इतना डरते हो।
कोई तो है वो गहरी बात तेरे पास,
जिसे राज बनाकर तुम तन्हा जीते हो।।
सभी को इश्क़ होता ना मयस्सर,
हुआ है तुम्हें तो कद्र क्यूं ना करते हो।
हमराज बनाकर हमें सुकूँ पाओ,
अंदर ही अंदर क्यूँ तन्हा यूँ जलते हो।।
चाहो तो तुम हम से करो गिला,
ऐसे सबसे जुदा से क्यों तुम रहते हो।
हम तो चाहेंगें हमेशा तेरा भला,
क्यूँ हम पर अक़ीदा तुम ना करते हो।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ