सांसें
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थमती जा रही अब मेरी सांसें,
अपनी सांसों से कुछ उधार दो।
देह से आत्मा तक संवार दो,
दिल कह रहा है मुझे प्यार दो।
दिल कह रहा है मुझे प्यार दो।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597
थमती जा रही अब मेरी सांसें,
अपनी सांसों से कुछ उधार दो।
देह से आत्मा तक संवार दो,
दिल कह रहा है मुझे प्यार दो।
दिल कह रहा है मुझे प्यार दो।
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रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597