सांच कह्यां सुख होयस्यी,सांच समद को सीप।
सांच कह्यां सुख होयस्यी,सांच समद को सीप।
सांचा मोती नीपजैं,मौज सांच मन दीप।।
अर्थात्- सत्य बात कहने से सुख प्राप्त होता है, सुनने वाले को भी और कहने वाले को भी! सत्य तो इस संसार रूपी सागर में सीप की तरह होता है,जो मोती की तरह कांतियुक्त होता है! मौज कहती है कि सत्य ही वो दीपक है जो भ्रमित मन को रोशनी प्रदान करता है, अर्थात् सन्मार्ग पर ले जाता है।
“मौज”