# सांग/किस्सा – महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-17 # मारण आळे तै हो सै, बलवान बचाणे आळा, उसनै कौण मारदे जग मै, जिसका राम रूखाळा ।। टेक ।।
# सांग/किस्सा – महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-17 # जवाब – सिद्धार्थ / महात्मा बुद्ध का।
मारण आळे तै हो सै, बलवान बचाणे आळा,
उसनै कौण मारदे जग मै, जिसका राम रूखाळा ।। टेक ।।
एक मर्कण्डु ब्राहमण कै, लड़के नै जन्म लिया था,
12 साल रहया लड़का, देवत्यां नै वरदान दिया था,
शिवजी रटया भेजदी शक्ति, अमृत पान किया था,
वो लड़का होया मार्कण्ड, कल्पो तक जिया था,
छुटी चौरासी यम की फांसी, रटी ऊं की माला ।।
एक बाहुक राजा की पतिभ्रता, बीसमती राणी थी,
सगी शौक नै विष दे दिया, गर्भवती राणी थी,
राजा मरया लड़ाई मै, गई होण सती राणी थी,
ओरंग ऋषि बोले पुत्र होगा, भागवती राणी थी,
सघड़ भूप होया चक्रवर्ती, चक्र जहान मै चाल्या ।।
एक बिदरथ राजा कै दो राणी थी, एक ऋषि नै फल पहुचांया,
दो राणीयां नै चीरकै वो फल, आधा-आधा खाया,
एक लड़का दो अंग बणा दिए, दो राणीयां कै जाया,
बाहर फेंक दिया जुराह नाम की, राक्षणी नै ठाया,
वो लड़का होया जरासंध राजा, पड़या भीम तै पाला ।।
वासदेव महाराज के संग मै, ब्याही देवकी राणी,
पूत आठमा कंस नै मारै, होई आकाश की बाणी,
छः बेटे दिए मार कंस नै, करदी कुणबा घाणी,
कृष्ण भेज दिया गौकुल मै, कन्या पड़ी बचाणी,
राजेराम ब्रज का बासी, वोहे कृष्ण काला ।।