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15 Jul 2021 · 1 min read

साँझ ढले जिया रोवे रे सखी री

साँझ ढले जिया रोवे रे सखी री
दीप नहीं हिया बाले रे सखी री
साँझ ढले…….

गाये पपीहा, कूके तन में कोयलिया
मन में बजाए मोरे श्याम बांसुरिया
गीत नहीं बिरह गाये रे सखी री
साँझ ढले…….

राधा ने काहे अपनी चुराई नजरिया
रूठी जो कान्हा से तो छिपाई मुरलिया
प्रीत नहीं निभा पाये रे सखी री
साँझ ढले…….

•••

Language: Hindi
Tag: गीत
5 Likes · 6 Comments · 412 Views
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