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24 Feb 2023 · 1 min read

साँझ ढले ही आ बसा, पलकों में अज्ञात।

साँझ ढले ही आ बसा, पलकों में अज्ञात।
छवियाँ अनगिन आँकते, कटी नयन में रात।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 272 Views
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