स़िला
इस खुदग़र्ज़ जहाँ में हम़द़र्द तलाश़ ना कर।
दिल के ज़ख्म तेरी अम़ानत है दिखाया ना कर ।
ब़ेद़र्द है यह ज़माना करेगा रुस़वा सरे़ बाज़ार तुझे ।
फिर न मिलेगा लाख ढूंढे भी तेरा ऱ़हम़ान तुझे ।
ना फ़िक्र कर तू इस ज़माने की तेरा तो है मुस्त़क़बिल तेरे हाथों में ।
यूं ना कर बर्बाद अपना वक्त इन बेकार की बातों में।
ठान ले जब तू तब तुझे कोई ना हिला पाएगा
ग़र हों तेरे ब़ुलंद हौस़ले अपनी श़िद्दत का स़िला ख़ुद-ब-ख़ुद तू पा जाएगा।