सहेज लेता हूँ !
सहेज लेता हूँ !
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सहेज लेता हूँ !
इन वृक्षों को !!
अपने लिए…
अपनों के लिए !
जग के लिए…
सब के लिए !
क्यों कि ?
मैं जानता हूँ !
कि यही वृक्ष देंगे…
जीवन को नव-जीवन
प्रकृत्ति को अलंकरण
पर्यावरण को संतुलन
जैवविविधता को आधार
आपदाओं को स्थिरता
चारों ओर हरियाली
और……….
जीवों को प्राणवायु !!!!
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— डॉ०प्रदीप कुमार दीप