सहृदयता भर दो राम !
हृदयों में संचार शीतलता का सुरम्य कर दो राम ,
जीवन के सूत्रों में सस्वर सहृदयता भर दो राम !
जीवन वैभव अमर रहे , बाधाओं से ना टकराए ;
कंटक पत्थर , दग्ध ज्वाल से कभी नहीं थर्राए !
असीमित अधिकार असीमित शक्ति से शोभित भुजदण्ड खड़े,
भूमण्डल से नभोमण्डल में वीरोचित जय-जयकार उड़े !
आंधी हो प्रचण्ड वेग से उन्मादों विषादों की ,
विस्तृत भू-भाग में अत्यंत , सन्निकट प्रमादों की ।
समरसता के अभिकेंद्र में सत्य का झुकाव मिले ,
सुसंस्कृतियों की परिधि में दिव्य भव्यता भाव खिले ।
मर्यादा का अतिक्रमण हो , तत्क्षण चाप उठाना राम ;
खिलखिला जावे मातृभूमि, बरसे अमृत नयनाभिराम !
आलोक पाण्डेय