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24 Feb 2018 · 1 min read

सहारा

कितने दिनों पहले तुम्हें देखा था
अपनी उम्मीद भरी आंखों से
और चाहा था दिल से
आज वहीं से दूर रहकर मैं
सोचता हूं तेरे प्यार के बारे में
और सोचता हूं तेरी मासूमियत को
मैं नहीं जानता कि तुम्हारे दिल में
कहने को भी कुछ है या नहीं
पर यह जानता हूं कि मेरे प्यार
और मुहब्बत में कोई दाग नहीं
अब मेरी कोई चाहत नहीं
और न ही इच्छा रह गयी है
पर पिछले दिनों की याद आती है
और रह-रह कर चुभ जाती है
मेरे दिल में एक सूई की तरह
आत्मबल के कारण ही
मैं सह पाता हूं उसे
घायल की तरह छटपटाकर
रह जाता हूं मैं
आखिर यही तो एकमात्र
मेरे जीने का सहारा है।

Language: Hindi
248 Views
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