“सहारा हैं यादें” (कविता)
तन्हाइयों में ये यादें ही तो
सहारा होती हैं हमारा
असर करती है दोस्त बनकर
बेकरार दिल को दे करारा
हम दर्देदिल बयां न कर पाए
दर्द को भूलकर सदा ही मुस्कुराए
कोशिश है गमों को भूलजाएं
खुशी के फूल खिलखिलाएं
छाए थे बादल दूर तक
और कहीं गमों का साया न था
इस तरह बारिश का मौसम
कभी जिंदगी में आया न था
घनघोर बारिश जब होती
याद आ जाती बचपन की सहेली की
ऐसे ही बारिश में भीगते हुए
आई थी मिलने और
दे गयी बेपनाह खुशी
ऐसी ही खुशी कुछ खास
नित मन में समेटे नया आभास