सहर और साम का जुस्तजू का रिश्ता है
सहर और साम का जुस्तजू का रिश्ता है
हवाओं का फूलों से खुशबू का रिश्ता है
उसकी शादी के बाद से ये आदबो आदाब
वर्ना उससे मेरा आप का नही तू का रिश्ता है
न जाने जमाने भर को नागवार गुजरता है
परिन्दे का परिन्दी से गुफ्तगू का रिश्ता है
उसने ऐसे इंसानियत का रिश्ता निभाया है
कहते है बीमार से उसका लहू का रिश्ता है
रोज घर में रामायण महाभारत साथ होती है
प्यार और तकरार का सास-बहू का रिश्ता है
कौन किसे जीजा कहे कौन किसे साला
दोनों का एक दुसरे से हूबहू का रिश्ता है
गर मोहब्बत का जलवा हो तो तनहा हो
आदत का अदाओं से आरजू का रिश्ता है