सहन शीलता
पति जी शोषण क्यो करती हो पत्नि प्यारी
पति ही सहन शीलता के शिकार है
पति को सुबह शाम भोजन नसीब नही
सूखी रोटी खाते वो मिर्ची अचार है
दिन भर मारे मारे फिरते बेचारे पति
पत्नि दिन भर करती सोलह सिगार है
सहन शीलता की हद होती है कृष्णा
मेरी पत्नि करती मुझपे ही अत्याचार है
माफ करना यारो झाडू लेके पीछे दोड़ रही
कहती तेरे मन आते क्या विचार है
कृष्णकांत गुर्जर