सहधर्मी
यहां तो जात-जात में जात है!
आखिर इसमें किसका हाथ है!!
ज्यादा लोगों की दुर्गति इसमें
सिर्फ कुछ लोगों की ठाट है!!
आपस में नहीं बनने लगते
जब तक रोटी-बेटी के रिश्ते,
तब तक हम सहधर्मी कहलाएं
भला हममें ऐसी क्या बात है!!
Shekhar Chandra Mitra