सहज रिश्ता
पत्थर शांत पानी को अक्सर छेड़ देता है
गुलज़ार चमन की ख़ुशी को भेद देता है
होता है क्या फिर तो पत्थर डूब जाता है
क्या खोजें उसे जो ख़ुद से डूब जाता है
सहजता सरलता है मिज़ाज पानी का
नाराज़ ज़रा होता फिर बुराई भूल जाता है
कई उत्पाति बच्चे ये पत्थर फेंकते होंगे
रश्मियाँ बूँदों की सजती, ग़म छूट जाता है
नहीं सूरज को इन धूल कणों की परवाह
उजाला कम नहीं होता दिन फूल जाता है
काँटो की चिंता में फूल मुरझा नहीं जाता
मुस्कराता है और डाली पर झूल जाता है