सहज बड़ी बड़ी, बर्बादी है l
सहज बड़ी बड़ी, बर्बादी है l
अब प्रीत की, ना आबादी है ll
कोम कोम है, खराब हो चली l
मानव नफरतों का, आदी है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
सहज बड़ी बड़ी, बर्बादी है l
अब प्रीत की, ना आबादी है ll
कोम कोम है, खराब हो चली l
मानव नफरतों का, आदी है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”