” सहज कविता “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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कविता जन मानस तक पहुँचने का
एक सफल माध्यम होता है !
लोग पढ़ते हैं बड़ी उत्सुकताओं से
प्रतिकात्मक असर पड़ता है !!
शृंगार रस हो या व्यंग का प्रहार हो
हास्य से कविता निखरती है !
सत्यम शिवम सुंदरम की छवि से ही
एक दिव्य रूप उभरती है !!
अलंकारों और शब्दों प्रयोगों से हम
अपनी कविता सजा सकते हैं !
पर साधारण सौम्यता के शृंगारों से हम
जन मनस तक पहुँच सकते हैं !!
“रामचरितमानस रामायण” लिखकर
तुलसी घर- घर में अमर हुए !
उसकी भाषा ,उसकी रचना लोगों
के रोम -रोम में सफल हुए !!
” विनय पत्रिका” लिखकर लोगों को
अपनी प्रतिभा दिखा दिया !
संस्कृत साहित्य का रूप सजाकर
लोगों को फिर बता दिया !!
सहज सुंदर कविता का रूप सदा
ही आकर्षक बन पाती है !
जनमानस से दूर रहे तो अलंकृत
छवि भी उदास हो जाती है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत