Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2020 · 7 min read

“सशक्त मनोबल से सफलता हासिल” (लघुकथा)

जी हाँ साथियों मासूम बचपन, भोला बचपन हम लोग आपस में कहते रहते हैं न? बालमन बड़ा ही कोमल। एक ऐसी ही कहानी आप लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत कर रही हूँ। “निधि छोटी सी मासूम की कहानी और उसको और उसकी बड़ी बहन सुधा को संबल देकर सशक्‍त बनाने में जुटी उसकी माँ कावेरी।”

कावेरी जो दिन-रात अपनी मेहनत से लोगों के यहाँ खाना बनाना और झाड़ु-बुहारी का काम करती। वह अकेले ही अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थी। कुछ बरस बीत गए उसका पति भोला उसे इस दुनिया में अकेला छोड़कर चला गया। कावेरी के लाख मना करने के बावज़ूद उसने शराब पीना नहीं छोड़ा। भोला की रोजाना शराब पीने की आदत की वजह से किड़नी ने काम करना बंद कर दिया| जबकि कावेरी ने अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से उसका चिकित्‍सकीय उपचार कराया, पर जनाब ईश्‍वर की मर्जी के आगे हमारी मर्जी चल पाई है भला? “उसको वैसे भी भोला का जीते जी भी कोई सहारा न था और अब वास्‍तव में अकेले छोड़ गया, समाज में संघर्षपूर्ण जीवन जीने के लिए।”

कावेरी की दो बेटियाँ थी, बेटा नहीं था, इसलिए परिवार में भी सास-ससुर के ताने सुनती रही। बड़ी बेटी सुधा कक्षा 6वी में सरकारी स्‍कूल में पढ़ रही थी और छोटी मासुम निधि मात्र 4 साल की ही तो थी, जो अपना एक पैर सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्‍त होने के कारण गंवा बैठी थी, उसे लगता अब मैं कभी चल नहीं पाऊँगी, “पर कावेरी ने उसका मनोबल बनाए रखने में उसकी सदैव सहायता की।”

कावेरी ने निधि के बाल सहलाते हुए कहा बेटी तुम चल नहीं सकती तो क्‍या हुआ? गाना तो गा ही सकती हो, पर तुम्‍हें मधुर संगीत सुनना पड़ेगा और फिर गाने का अभ्‍यास करना होगा। धीरे-धीरे तुम सीख जाओगी बेटी, पर हाँ तुम्‍हें हमेशा सकारात्‍मक सोच के साथ प्रफुल्लित मन से सीखना होगा। मैं रोज़ जब काम पर जाऊँगी तब तुम रेडि़यो पर गाने सुनो, फिर तुम सुनते हुए उसी गीत को गुनगुनाते हुए सतत अभ्‍यास करना बेटी, निश्चित ही तुम सीख जाओगी। मुझे पूर्ण विश्‍वास है कि गाना सुनने से तुम्‍हारे मन को तो अच्‍छा लगेगा ही पर गुनगुनाने से आत्‍मविश्‍वास में भी बढ़ोत्‍तरी अवश्‍य होगी।

धीरे-धीरे इसी तरह से दिन बीतने लगे। कावेरी जिस कॉलोनी में काम करने जाती, वहाँ अपनी बेटियों के बारे में अवश्‍य ही बताती। ऐसे ही एक अच्‍छे घर की वीणा मैड़म जो विश्‍वविद्यालय में पढ़ाती और साथ ही समाज सेविका का कार्य भी बखूबी निभाती। उनके पति श्रीनगर में फौज में ब्रिगेडियर थे और इसलिए अवकाश मिलने पर आते घर में। जब से वीणाजी की सासु-माँ का स्वर्गवास हुआ, तब से वे अकेले ही रहती। उनकी एक ही बेटी थी और उसका भी मुंबई में अच्‍छे घर में विवाह कर वीणाजी निश्चिंत होकर समाज सेवा करती। बेटी आती कभी-कभी, वह भी तो सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी, एक प्राईवेट कंपनी में सो अवकाश भी कम ही मिल पाता उसे|

इसलिये वीणाजी के यहाँ कावेरी शुरू से ही पूर्ण ईमानदारी के साथ काम कर रही थी, साथ ही कभी मैड़म जी की तबियत ठीक नहीं होने पर देखभाल भी करती। वीणाजी कावेरी को समझाती तुम कभी भी अपनी हिम्‍मत मत हारना क्‍योंकि तुम्‍हारे ही बलबूते पर दोनों बेटियों का भविष्‍य टिका हुआ है। आज मैं भी अपनी बेटी को सहारा न देती तो वह भी मंजिल पर नहीं पहुंच पाती|

तुम भी अपनी कोमल सी, मासूम सी निधि जो अभी अपने बचपन का आनंद भी ठीक से उठा नहीं पायी थी कि उसके साथ ऐसा हादसा हो गया, पर उसे कभी अंतर्मन से खोखला मत होने देना।

कावेरी कहती जी मैड़म जी आपके कहे गए शब्‍दों को मन में संजोए ही तो मैं अपना मनोबल हमेशा बनाए रखती हूँ| यही शब्‍द ही तो हमें आपस में बांधे रखते हैं, नहीं तो आजकल की व्‍यस्‍ततम जिंदगी में किसी के पास वक्‍त ही नहीं है, एक दूसरे के लिए। मैं सुधा को भी कहती हूँ कि तुझे अच्‍छी पढ़ाई करके परीक्षा में अव्‍वल आना होगा| बेटी, जिससे तेरा भविष्‍य तो उज्‍जवल तो होगा ही और परिवार का नाम भी रोशन होगा। समाज में हमेशा यही कहा गया है कि बेटे ही जीवन का आधार होते हैं, पर बेटी अब ऐसा नहीं है, अब वक्‍त ने करवट ले ली है| मेरे लिए तुम दोनों बेटियाँ ही किसी बेटे से कम नहीं हो।

कावेरी के मनोबल से सुधा के मन में इतना आत्‍मविश्‍वास प्रबल हो गया कि समय की अवश्‍यकतानुसार उसने मोबाईल स्‍वयं भी सीख लिया और माँ को भी सिखाया क्‍योंकि आजकल अध्‍ययन और किसी से भी शीघ्र संपर्क करने हेतु एक मात्र जरूरी साधन है ।

कावेरी कॉलोनी में इतनी जगह काम करती पर उसे वीणा मैड़म का ही एक सहारा ऐसा था, जो समाज सेविका के रूप में हर पल मिलता रहता।

वीणाजी ने भी सुधा को अच्‍छी तरह समझा दिया था कि मोबाईल का उपयोग सिर्फ अपने अध्‍ययन के लिए, अन्‍य ज्ञानवर्द्धक जानकारियों के लिए और माँ से बात करने के लिए ही उपयोग करना ताकि तुम इसकी आदि न हो।

सुधा ने भी अब अपना पूरा ध्‍यान अध्‍ययन की तरफ ही लगाया और कावेरी व निधि ने उसका मनोबल बढ़ाया। अब उसका पूर्ण रूप से रूझान परीक्षा देने की ओर ही था।

इधर निधि भी माँ के ही सिखाए रास्‍ते पर चल रही थी, एक दिन अचानक कावेरी की तबियत खराब हो गई और सुधा स्‍कूल गई थी परीक्षा देने तो उसने वीणा मैड़म को फोन किया। फिर वीणा जी तुरंत ही डॉक्‍टर को साथ में लेकर आयी, कावेरी के चेकप के बाद पता चला कि उसे वायरल फिवर है, चिंता की कोई बात नहीं है। डॉक्‍टर ने दवाइयाँ लिख दी और कहा कि इसे नियमित रूप से लेते रहिए ठीक हों जाएंगी।

इसी बीच डॉक्‍टर ने देखा कि निधि बैसाखी के सहारे चल रही है और उसका एक पैर क्षतिग्रस्‍त होकर आधा ही था। उन्‍होंने वीणाजी से कहा आजकल विज्ञान के जरिये नई-नई तकनीकी पद्धतियाँ आयी हैं| ऐसा करेंगे निधि को उपचार हेतु ले चलेंगे हो सकता है कि नई तकनीकी सहायता से नकली पैर यदि लग जाए | जो शल्‍य क्रिया के माध्‍यम से लगाया जा सकता है और निधि चलने लगेगी।

सुनकर निधि बहुत खुश हो गई कि यदि यह सच में हो गया तो वह अपना डांस करने का सपना भी पूरा कर सकेगी। कावेरी की तबियत में अब सुधार हो चला था और सबसे पहले वह निधि को डॉक्‍टर के बताए अनुसार अस्‍पताल ले गई, जहाँ उसका पूरा उपचार किया गया और बताया गया कि निधि को दूसरा पाँव लगाया जा सकता है। कावेरी को इस हेतु खर्चे की चिंता सताने लगी पर वीणा जी ने कहा आजकल सरकार की तरफ से कुछ सहायता प्रदान की जाती है और कुछ मैं कर दूँगी।

सुधा की भी परीक्षा समाप्‍त हो गई थी और उसके सारे पेपर्स अच्‍छे ही गए थे। “कावेरी ने सुधा को बताया, सुधा ने बेहद आनंदित होकर कहा इस नेक काम में देर मत करो माँ, निधि के भविष्‍य का सवाल है।”

दूसरे ही दिन वीणा जी के साथ जाकर अस्‍पताल की समस्‍त औपचारिकताओं को पूरा कर लिया कावेरी ने, पर मन ही मन घबरा रही थी कि सब ठीक होगा या नहीं?

इतने में निधि कावेरी को हिम्‍मत बंधाते हुए बोली, कुछ गलत नहीं होगा माँ, आज तेरी वजह से ही तो मेरा मनोबल बना हुआ है। माँ पिताजी बहुत याद आ रहे हैं, वे आज होते तो बहुत खुश होते । आज मुझे वो दिन याद आ रहा है, जब एक दुर्घटना में, मै अपना एक पैर खोया। कितना रोयी थी, जिंदगी से मैं निराश हो गई थी क्योंकि मुझे लगा कि मैं अब कभी भी नहीं चल पाऊँगी, पर तूने मेरा मनोबल बढ़ाया और बैसाखी के सहारे तो चलने लगी मैं। इन सबके बीच तेरा संघर्ष देखा है मैने। तूने मुझे गीत-संगीत सुनने को बोला। फिर भगवान के आशीर्वाद से इस मुकाम पर पहुचे हैं माँ, तो अवश्‍य ही सफलता मिलेगी। माँ तुझे नमन करके जाती हूँ भरोसा रख उस भगवान पर सब अच्‍छा ही होगा।

वीणा जी, कावेरी और अन्‍य चिकित्‍सक भी निधि के मुख से यह कथन सुनकर भाव-विभोर हो जाते हैं। “बस कुछ ही पलों में शल्‍य क्रिया हेतु निधि को ले जाया जाता है और इधर सुधा का भी परीक्षा परिणाम आने वाला रहता है।”

सुधा अपना परीक्षा परिणाम लेने स्‍कूल जाती है, जहाँ उसकी शिक्षिका उसको बताती है कि वह समस्‍त परीक्षाओं में अव्‍व्‍ल नंबरों से उत्‍तीर्ण होकर प्रथम स्‍थान पर आयी है और साथ ही सरकार की ओर से उसे भविष्‍य की शिक्षा पूर्ण करने हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी ।

“सुधा तो आनंदित हो कूदते हुए खुशी-खुशी माँ को अपना परिणाम बताने पहुँची, तो देखा कि निधि की शल्‍य क्रिया भी सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुकी थी और डॉक्‍टर द्वारा बताया गया कि शीघ्र ही निधि अपने पैरों पर खड़े हो सकेगी और धीरे-धीरे चलने भी लगेगी।”

“सुधा ने माँ को अपना परीक्षा परिणाम बताया तो उसकी खुशी का तो आज कोई ठिकाना ही नहीं था। आज उसकी दोनों बेटियों को जीवन संवर गया, वो कहते हैं न ईश्‍वर जब खुशियाँ देता हैं तो छप्‍पर फाड़कर देता है।”

कावेरी ने वीणा जी को अपना आभार प्रकट किया, बहन मैं जिंदगीभर आपका यह बहुमूल्‍य कर्ज नहीं चुका सकूँगी। आज आपकी वजह से ही मेरी दोनों बेटियों की जिंदगी आबाद हो गई। वीणा जी ने कावेरी से कहा, नहीं कावेरी यह तो तुम्‍हारे सशक्‍त मनोबल का सफल परिणाम है।

आरती अयाचित

भोपाल

स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 485 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
4897.*पूर्णिका*
4897.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बात मन की
बात मन की
surenderpal vaidya
शीर्षक – कुछ भी
शीर्षक – कुछ भी
Sonam Puneet Dubey
.
.
*प्रणय*
समीक्षा- रास्ता बनकर रहा (ग़ज़ल संग्रह)
समीक्षा- रास्ता बनकर रहा (ग़ज़ल संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
जीवन को जीतती हैं
जीवन को जीतती हैं
Dr fauzia Naseem shad
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
Neelofar Khan
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
Ashwini sharma
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
gurudeenverma198
पता ही नहीं चलता यार
पता ही नहीं चलता यार
पूर्वार्थ
*गाथा बिहार की*
*गाथा बिहार की*
Mukta Rashmi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
Keep On Trying!
Keep On Trying!
R. H. SRIDEVI
हममें आ जायेंगी बंदिशे
हममें आ जायेंगी बंदिशे
Pratibha Pandey
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मोमबत्ती की रौशनी की तरह,
मोमबत्ती की रौशनी की तरह,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"मीठी यादें"
Dr. Kishan tandon kranti
*गॉंधी जी सत्याग्रही, ताकत में बेजोड़ (कुंडलिया)*
*गॉंधी जी सत्याग्रही, ताकत में बेजोड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नाकाम किस्मत( कविता)
नाकाम किस्मत( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
എങ്ങനെ ഞാൻ മറക്കും.
എങ്ങനെ ഞാൻ മറക്കും.
Heera S
The Sweet 16s
The Sweet 16s
Natasha Stephen
20, 🌻बसन्त पंचमी🌻
20, 🌻बसन्त पंचमी🌻
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
लिखने के आयाम बहुत हैं
लिखने के आयाम बहुत हैं
Shweta Soni
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
Sahityapedia
Sahityapedia
भरत कुमार सोलंकी
నా గ్రామం..
నా గ్రామం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्यासा के राम
प्यासा के राम
Vijay kumar Pandey
Loading...