सवाल करती हो…
तुम उल्टे सीधे
सवाल करती हो
बस बेहिसाब करती हो
जानती हो ये दिल
तुम्हारे लिए धड़कता है…
तुम्हारी हर अदा पर,
एक बार नहीं
सौ बार मरता है …..
फिर क्यों यूँ तुम
परेशान करती हो
उल्टे सीधे सवाल करती हो
जब नही है
मुझपर एतबार…
तो क्यों है फिर
ये इकरार…
क्यों मुझ पर यूँ
जान छिड़कती हो..
उल्टे सीधे सवाल करती हो
हर बात सिमटती
तुम्हारी हाँजी- नाजी में
कभी खुल के कहाँ
कुछ भी कहती हो तुम
लेकिन मुझसे सवाल
बेहिसाब करती हो
बेमिसाल करती हो ।।