सवाल और जिंदगी
जीवन के अनगिनत पहलू हैं,
कुछ सरल, कुछ गहरे संवारे हैं।
हर कोई पूछता है, “कैसे हो तुम?”,
पर सच्चाई में, हर दिन एक नया सफर है।
हम खुद के बनाए गए हालातों में डूबे हैं,
पर सत्यता में अपनी पहचान है छुपी।
कभी-कभी सरलता से उत्तर देना जरूरी होता है,
अपने असली रूप को पहचानने के लिए, अपने मन के संघर्षों को सुनने के लिए।
हालातों की बातों में नहीं,
खुद के आवाज को सुनो, अपने अंतर में गूंजो।
ठीक नहीं होने की बजाय, सच्चाई को जीना सीखो,
और अपने सफर को खुद से प्यार से संवारो।
जीवन की यह सच्चाई है, हम सब को मालूम है,
पर जीना है हमें खुद को, सपनों के साथ चलो वीरान राहों पर।
क्योंकि सच्चाई और अपनी स्वाभाविकता में ही,
हम पा सकते हैं अपने असली खुद को, अपनी सच्ची पहचान को।