सवाल।
एक सवाल है,
पूछ लू तुमसे, इजाज़त है,
क्या तुम्हारे दिल के किसी कोने में अब भी हमारी आहट है,
तुमसे बिछड़े आज 7 बरस 3 महीने 28दिन हो गए हैं, ( आगे बचते चले का टाइम)
फिर भी आज इस दिल में तुम्हारे लिए चाहत है,
क्या थी वो बात आज भी मुझे मालूम नहीं,
जिस वजह से तुम मुझसे दूर गई,
कोशिशें तो बहुत की थी मैंने तुमसे बात करने कि,
जो भी ग़लत फहमी थी उसे दूर करने की,
पर शायद तुमने ये तो तय कर लिया था,
बिछड़ कर ही माना, कसम जो खाई थी मेरी ना सुनने की,
शायद वो वक्त का आलम ही तुम्हे उस मोड़ पर ले गया होगा,
अलग होना ही तुम्हे सही लगने लगा होगा,
या, शायद तुम्हे कोई और मिल गया होगा,
गर नहीं तो फिर, ये तो मुमकिन है कि तुम्हारा मुझसे मन भर गया होगा,
कुछ ना कहा बस इतना ही कहा तुमने,
मोहब्बत थी अब नहीं है बस यहीं कहा तुमने
आखिर बात थी क्या बताती तो एक बार,
मिल कर वो मशला सुलझाती तो एक बार,
पर शायद तुम्हें बिछड़ना ही सही लगा होगा,
वो सारी पुरानी वादें को तोड़ चले जाना ही सही लगा होगा,
पर क्या तुमने एक बार भी ना सोचा मेरे बारे में,
चलो छोड़ो मेरा क्या आपकी नज़रों में तो मैं था ही गुनहगार,
खुद का किया वादा तो याद कर लेती,
सारी उम्र नहीं यार बस एक बार ही बात तो कर लेती,
छोड़ो खैर जाने दो सवाल तो कई है, वक्त हैं कम,
अब तो हम नहीं मिलेंगे ये भी जानते हैं हम,
गर वक्त मिले तो भेजना इन सवालों का जवाब,
रहेगा इंतज़ार तुम्हारे जवाब का मुझको,
गर नहीं तो फिर फाड़ फेक देना मेरे सवालों को,
मैं समझ जाऊंगा नहीं थी मोहब्बत तुम्हे,
दिल बस उही लगाया था, दिल बहलाने को।