सलाम
धड़कती हर धड़कन का बस तुझे यही पयाम मिले।
मेरे हिस्से की खुशियाँ तुझे तमाम मिले।।
ये माना की जिंदगी की इबारत में खामियां है मगर,
आरजू यही एक पल में सदिया जीकर फिर विराम मिले।
मापती रही दरमियां जो दूरियां सदा,
उन मील के पत्थरों को भी अब आराम मिले।
ख्वाहिशें रहे इस तरह पनाह में तेरे,
ढूंढने जब भी निकले ये न गुमनाम मिले ।।
गुजरते वक़्त के साथ जो न यादगार रहे ,
स्मृति कोष के हर पन्ने पर मेरा सलाम मिले।।