#कुंडलिया//सलामत हो याराना
करके बातें प्रेम की , चिंता का हो अंत।
पतझड़ जैसे बीत के , खिलता द्वार बसंत।।
खिलता द्वार बसंत , सलामत यूँ याराना।
करता प्रेम मुरीद , संग देकर नज़राना।
सुन प्रीतम की बात , मिलें ख़ुशियाँ जी भरके।
प्रेम करे मनमीत , रखो उर में मन करके।
माला-मनकों से मिलें , भाये ऐसी प्रीत ।
शक्ति बड़ी है एकता , हासिल इससे जीत।।
हासिल इससे जीत , जीत हर मन हर्षाती।
यही प्रेरणा गीत , विजय सबको दिलवाती।
सुन प्रीतम की बात , एकता मस्ती हाला।
पीकर इसको झूम , सभी को पहना माला।
कभी-कभी नाराज़गी , मन में भरे विषाद।
झुकना तरु-सम इसलिए , हो जाएँँ दिल शाद।।
हो जाएँँ दिल शाद , पेड़ छाया से प्यारा।
देना सबको सीख , बने हर हृदय तुम्हारा।
सुन प्रीतम की बात , मिलें झूमें मस्त सभी।
सूर्य-प्रेम का नूर , न हो यारो अस्त कभी।
#आर.एस. ‘प्रीतम’