सर न झुकाना पड़ता
बेचकर ज़र्फ़ अगर सर को झुकाते जाते
अपने सर का वह हमें ताज बनाते जाते.
दिल के अंदर की घुटन जान नहीं ले पाती
कम से कम वक़्ते जुदाई तो रुलाते जाते
आज हर एक जगह सर न झुकाना पड़ता
सामने रब के अगर सर को झुकाते जाते
इस क़दर ज़हर फ़ज़ाओं में पनपता ही नहीं
अम्न की पौध अगर आप उगाते जाते
ठोकरें आज ज़माने में न इतनी मिलतीं
“कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते”
भाषणों से न कभी काम बना करते हैं
काश, खुद को भी वफ़ादार बनाते जाते
इसलिए खून चराग़ों में जलाया अरशद
हमने देखा था तुम्हें ख्वाब में आते जाते