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29 Jan 2023 · 1 min read

सर झुका कर हम वफा का वहम रखते है

छलने आते है हमे वो मुहब्बत के नकाब में
बड़े शऊर से हम कायम वहम रखते है
नज़र में हम ज़िगर में सूरत है गैर की
सर झुका के हम वफ़ा का वहम रखते है
जो बस्ती वफादारो से थी आबाद कभी
मिलेगा पीठ में खंजर वहां अब जो कदम रखते है
प्रज्ञा गोयल ©®

Language: Hindi
112 Views
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