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6 Sep 2024 · 1 min read

अपना सिक्का खोटा था

सर को तो बे-शक झुकना था
जब अपना सिक्का खोटा था

नेकी जाल में फँसती कैसे
नेकी से ख़ाली दरिया था

जुर्म वहाँ सब क्यों होते थे
जब डेरा सच्चा सौदा था

फ़सलें हाल बता देती हैं
तुमने पहले क्या बोया था

उसको मिला था सच का तमग़ा
जो हम में सबसे झूठा था

प्यार नहीं, व्यापार हुआ वो
सस्ता-महंगा क्यों सोचा था

समझौते क्यों तोड़ रहे हो
सब तुमने ही तो बाँटा था

सांस रुकी तो सब सोचेंगे
कल तक वो अच्छा खासा था

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