Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2016 · 1 min read

मेरा भारत

मुक्तक
है सदाचार की गंगा, संस्कृति से सज सुरभित है।
बंधुत्व नाम का अक्षर, उर अंतस में अंकित है।
मुनियों के तप से तपकर, निखरी वसुधा भारत की।
जिस पर है गर्व सुरों को, यह पुण्य धरा अतुलित है।
इस भू की गौरव गाथा, कवियों ने सदा सुनाई।
अपनत्व प्रेम की नदियों, से जन मन शुचि पुलकित है।
ये शौर्य पावनी धरती, वीरों को जनने वाली।
जिसने भी जन्म लिया है, वह सुर नर अति गर्वित है।
ऋतुराज अलंकृत करता, अमृत छलकाती नदियाँ।
गिरि रत्न उगलते रहते, हर जन मानस अर्पित है।
नव सृजन अंक में पलता, नतमस्तक है हर कोई।
‘इषुप्रिय’ माँ के आँचल में, हर युग धारा पोषित है।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुरकलां, सबलगढ(म.प्र.)

2 Likes · 227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all
You may also like:
बढ़ती हुई समझ
बढ़ती हुई समझ
शेखर सिंह
हमने ये शराब जब भी पी है,
हमने ये शराब जब भी पी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
Rj Anand Prajapati
मधुमास में बृंदावन
मधुमास में बृंदावन
Anamika Tiwari 'annpurna '
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
Phool gufran
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
सत्य कुमार प्रेमी
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
बहार...
बहार...
sushil sarna
"बेशर्मी" और "बेरहमी"
*प्रणय*
!! चहक़ सको तो !!
!! चहक़ सको तो !!
Chunnu Lal Gupta
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
Dr.Pratibha Prakash
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
gurudeenverma198
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भिनसार हो गया
भिनसार हो गया
Satish Srijan
जिंदगी का भरोसा कहां
जिंदगी का भरोसा कहां
Surinder blackpen
*अगर तुम फरवरी में जो चले आते तो अच्छा था (मुक्तक)*
*अगर तुम फरवरी में जो चले आते तो अच्छा था (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अज़ीयत को
अज़ीयत को
Dr fauzia Naseem shad
बरस  पाँच  सौ  तक रखी,
बरस पाँच सौ तक रखी,
Neelam Sharma
"ऐसा क्यों होता है?"
Dr. Kishan tandon kranti
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
Kanchan Alok Malu
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
मनुष्य की पहचान अच्छी मिठी-मिठी बातों से नहीं , अच्छे कर्म स
Raju Gajbhiye
चित्रकार
चित्रकार
Ritu Asooja
"चुभती सत्ता "
DrLakshman Jha Parimal
4188💐 *पूर्णिका* 💐
4188💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
1222   1222   1222   1222
1222 1222 1222 1222
Johnny Ahmed 'क़ैस'
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
सबसे नालायक बेटा
सबसे नालायक बेटा
आकांक्षा राय
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...