Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2022 · 2 min read

सर्वश्रेष्ठ

सर्वश्रेष्ठ…………….

यू.पी.एस.सी. परीक्षा में महिलाओं ने फिर गाडे झंडे,,
और युवकों के हाथ लगे तो बस मोबाइल के फंडे।
आत्म सम्मान की जमानत जप्त है,
और युवक बेचारे मोबाइल को चार्ज करने में व्यस्त हैं।।

क्या यही चाहता है आज का युवक?

आड़ी, तिरछी बालों में दरार लिए,
भविष्य की खाईयों से अनभिज्ञ अनजान,
प्रोटीन का डब्बा हाथ में लिए,
कर्तव्यों से दूर, रास्तों से अनजान।।

क्या यही चाहता है आज का युवक?

सुडौल शरीर की चाह रखता,
जिम में जाकर हड्डियों को तोड़ता,
बिना मेहनत सफलता की चाह रखता,
सबकी नजर में आने को दौड़ता है।।

क्या यही चाहता है आज का युवक?

गर्भ से निकले नहीं, और
शराब, सिगरेट के नशे में चूर हैं,
दूध के दांत टूटे नहीं, और
प्यार का कोर्स भी फुल है।।

आज के नौजवान का क्या यही सच है?
दौड़ लगी है यहां पैरों से, दिमाग से,
पर युवक आज भी खोखली कल्पना में सिकुड़ कर सोया है।।
बच्चे देश का भविष्य है’ क्या यही सच है?
फैसला यह तुम्हारा दिल से, दिमाग से,
डर कर मरो या डट कर लड़ो, यही जिंदगी का फार्मूला है।।

पता नहीं मेरे देश का युवक कहां खोया है,
सर्वश्रेष्ट बनने की होड़ में बिना कतार ही क्यूं खड़ा है?
कोई यहां हराने के लिए दौड़ रहा है,
कोई खुद से दूर जाने के लिए दौड़ रहा है,
कोई मेहनत कर, बिना थके, लक्ष्य की ओर दौड़ रहा है,
कोई परीक्षण कर, नई खोज करने के लिए दौड़ रहा है।।

श्रृंखला में कतारबद्ध, अग्रसर होना होगा,
आलस्य को भगा, शरीर को थकाना होगा,
पूरा जोर लगा, हरदम जोश में रहना होगा,
जोखिम उठा, सर्वश्रेष्ठ की लो में तपना होगा।।

।।सीमा टेलर।छिम्पियांन लम्बोर।चूरु।राजस्थान।।

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 310 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बावला
बावला
Ajay Mishra
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
शेखर सिंह
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
Ajit Kumar "Karn"
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
Shyam Sundar Subramanian
*मेले में ज्यों खो गया, ऐसी जग में भीड़( कुंडलिया )*
*मेले में ज्यों खो गया, ऐसी जग में भीड़( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
समन्वय
समन्वय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यादों की सुनवाई होगी
यादों की सुनवाई होगी
Shweta Soni
बदल सकता हूँ मैं......
बदल सकता हूँ मैं......
दीपक श्रीवास्तव
हँसकर गुजारी
हँसकर गुजारी
Bodhisatva kastooriya
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
Ravikesh Jha
श्रमिक
श्रमिक
Neelam Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
4498.*पूर्णिका*
4498.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ईमानदार  बनना
ईमानदार बनना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
प्यार की चंद पन्नों की किताब में
प्यार की चंद पन्नों की किताब में
Mangilal 713
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
"अश्कों की स्याही"
Dr. Kishan tandon kranti
हिलोरे लेता है
हिलोरे लेता है
हिमांशु Kulshrestha
सावन आने को है लेकिन दिल को लगता है पतझड़ की आहट है ।
सावन आने को है लेकिन दिल को लगता है पतझड़ की आहट है ।
Ashwini sharma
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय*
गुनाह लगता है किसी और को देखना
गुनाह लगता है किसी और को देखना
Trishika S Dhara
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
Suryakant Dwivedi
Loading...