सर्वश्रेष्ठ कवि
मेरे सारे रकीबों को शर्मिंदा कर दो!
मुझे अदबी चमन का परिंदा कर दो!!
अपने सुर्ख़ लबों से छूकर एक बार
मेरे अल्फ़ाज़ को तुम जिंदा कर दो!!
आना फिर जाना-जाना फिर आना
आख़िर वक़्त की इतनी बर्बादी क्यों
बार-बार होता रहे आमना-सामना
मुझे अपनी गली का बाशिंदा कर दो!!
Shekhar Chandra Mitra
#RomanticRebel
(A Dream of Love)