*सर्वप्रिय हिंदी (पॉंच दोहे)*
सर्वप्रिय हिंदी (पॉंच दोहे)
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1)
जिसकी पुस्तक को रखें, सब जन स्वयं सॅंभाल।
उसकी पुस्तक है अमर, खाता कभी न काल।।
2)
लिखो लेखनी छंद वह, गाए सब संसार।
सबके मन की बात हो, सब की हृदय-पुकार।।
3)
सब जन जो जाऍं समझ, लिख लेखक वह बात।
कठिन शब्द विद्वान के, खाते जग में मात।।
4)
भाषा तो वह ही भली, जिसमें है व्यवहार।
प्रचलन का हर शब्द है, हिंदी को स्वीकार।।
5)
हिंदी में भारत बसा, भारत का अभिमान।
आजादी का अर्थ है, हिंदी का यशगान।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451