सर्वनाम
सर्वनाम
अर्थ मिले इससे भाषा को,
व्याकरण इसकी है धूरी।
संज्ञा की रोक कर पुनुरुक्ति,
सर्वनाम करे अभिव्यक्ति पूरी!
सर्वनाम से परिचित होना
सबको है बहुत जरूरी ।
नाम लिए बिन देखें भैया
कौन करेगा कविता पूरी।।
मैं बोली अनुच्छेद लिखो।
पर उसने गढ़ी कहानी!!
तुमसे बोला था कब हमने
कि तुम हो ज्ञानी- ध्यानी?
नीलम शर्मा ✍️