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2 Sep 2020 · 1 min read

सर्वत्र सुन्दर सी हो प्रभात

सर्वत्र सुन्दर सी हो प्रभात
*********************

सर्वत्र सुन्दर सी हो प्रभात
कहीँ कोई भी न हो आघात

आँसुओं का न हो हमसाया
खुशियों की बरसे बरसात

चहुंओर हो हरित हरियाली
मिल जाए पुष्पवृष्टि सौगात

रोने धोने का भी नहो कोना
हंसी ठहाकों की शुरुआत

मुकम्मल हो सारे ही कारज

जाति पाति का न हो झंझट
एक जैसी हो एक जमात

भावों का हो मान सम्मान
आहत न हो कभी जज्बात

धर्मोन्मादी न करे धर्मोन्माद
उत्पाती कर न पाएं उत्पात

मनसीरत मन के होंगें मीत
रामराज्य हो जाए परिजात
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 231 Views
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