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5 Nov 2016 · 1 min read

सर्द

सर्द
✍✍

मौसम ने ली फिर
अँगराई
धुंध की चादर पसर
आई
आगाज हो गया
शीत का
ठन्ड की फुरफुरी
सी आई
स्वेटर , कोट की
याद आई
गर्म , ऊनी ने धाक
जमाई
समय की भी बात
आइ
अब लादने होगे वस्त्र
ज्यादा
समय भी लगाना होगा
ज्यादा
पाँच मिनट में
होते तैयार
ज्यादा वक्त देना
होगा
हीटर भी रौब
जमायेगा
बिजली हर रोज गुल
कराएगा

नहीं मन करेगा निकलने
का रजाई से
शाॅल भी कीमत अपनी
बताएगा
कम्पन से दाँत भी
किटकिटायेंगे
सूरज भी अपना रंग
दिखायेगा
दो चार दिन बाहर न
आयेगा
अँगीठी भी तन
गरमायेगी
कीमत अपनी बढ़ायेगी
चाय की पुनरावृत्ति
हो जायेगी
खूब गजक मूँगफली
आयेगी
लाचार , गरीब होगा जो
हाड़ माँस उसके
कँपायेगी
दिन न गुजरेगा रात
डसने को
आयेगी
हाल बुरा है गरीब का
बेवक्त ही सताया
जायेगा

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 342 Views
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