सर्द रातें
सर्द रातों का सितमगर आ गया |
ओस में सिमटा दिसंबर आ गया ||
बादलों में छुप गया सूरज कहीं . |
और उसका नूर छत पर आ गया ||
नर्म होंठों की गुलाबी पंखुड़ी… |
एक भँवरा आश लेकर आ गया ||
हम किसी की याद में खोए रहे |
और वो अहसास बनकर आ गया ||
भीड़ में दुबका हुआ था कत्ल कर |
फिर वही बे-खौफ मंज़र आ गया ||