Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

सर्दी

धरती ने ली, कुछ करवटें।
सूरज का ताप कुछ इस तरह सिमटा!
तन पर गर्म कपड़ों को लिया हमने लिपटा
जब हवा ने की, कुछ शीतल हरकतें।
महीना दिसंबर का आया।
शीत ऋतु साथ में लाया।
गरम पकोड़े,अदरक चाय!
गजक मूंगफली रेवड़ी का देखो! ज़माना आया।
हलवा भटूरे, पूड़ी कचौड़ी को भी हमने खूब आजमाया।
कोहरे ने धूप को कुछ इस तरह समेटा,
निकल आए बाहर! मफलर टोपी और रजाई।
छोटे हुए दिन,लंबी रातों में जिंदगी कुछ यूं सिमट आई।
सर्दियों ने कुछ ऐसे ही, अपनी आहट सुनाई।
गर्म कपड़े, स्वेटर बूट पहन कर सब थोड़ा। बाहर टहल आएं।

कुछ नजर घुमाई तो देखा
फुटपाथ पर बिछौने पे कुछ तन, कुछ सिमटते हुए हैं, पड़े।
तो चलो!
एक दुशाला! उन्हें। देखकर।
अलमारी को कुछ हल्का कराएं।
थोड़ी गजक मूंगफली रेवड़ी।
हम उनको भी बांट आऐं।
सर्दी की खुशियों में कुछ और लोगों को शामिल कराएं।
लंबी ठंडी रातों में। कुछ रोशनी के दीपक जलाऐं
कुछ हाथ बढ़ाएं, हम भी कुछ कदम उठाऐं।
सर्दी के बाद आने वाले बसंत की कुछ आशाऐं महकाऐं।

192 Views
Books from Dhriti Mishra
View all

You may also like these posts

सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
*सुकृति (बाल कविता)*
*सुकृति (बाल कविता)*
Ravi Prakash
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत  का खौफ।
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत का खौफ।
Ashwini sharma
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
Neelofar Khan
बुरा किसी को नहीं समझना
बुरा किसी को नहीं समझना
Rambali Mishra
बिरवा कहिसि
बिरवा कहिसि
डॉ.सतगुरु प्रेमी
ठिकाने  सभी अब  बताने लगेंगे।
ठिकाने सभी अब बताने लगेंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उदासी की यही कहानी
उदासी की यही कहानी
Suryakant Dwivedi
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
अंसार एटवी
■ निकला नतीजा। फिर न कोई चाचा, न कोई भतीजा।
■ निकला नतीजा। फिर न कोई चाचा, न कोई भतीजा।
*प्रणय*
दोहे - डी के निवातिया
दोहे - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
"मानो या ना मानो"
Dr. Kishan tandon kranti
बात ही कुछ और है
बात ही कुछ और है
manorath maharaj
पाती प्रभु को
पाती प्रभु को
Saraswati Bajpai
3826.💐 *पूर्णिका* 💐
3826.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
My Interpretation of Religion
My Interpretation of Religion
Deep Shikha
मौत का भय ✍️...
मौत का भय ✍️...
Shubham Pandey (S P)
दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या
दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या
Jyoti Roshni
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ख़ून इंसानियत का
ख़ून इंसानियत का
Dr fauzia Naseem shad
पिछले पन्ने 5
पिछले पन्ने 5
Paras Nath Jha
झुमका
झुमका
अंकित आजाद गुप्ता
हर एक हृदय से
हर एक हृदय से
Shweta Soni
मनुष्य की महत्ता...
मनुष्य की महत्ता...
ओंकार मिश्र
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
Kshma Urmila
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
The_dk_poetry
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
Swami Ganganiya
#कुछ खामियां
#कुछ खामियां
Amulyaa Ratan
Loading...