सर्दी रानी – सर्दी रानी
सर्दी – रानी , सर्दी – रानी !
हो गई तू अब बहुत स्यानी ।
तुम बच्चे-बूढ़ों का रखो ख्याल,
क्या होता नहीं है तुम्हें मलाल ।।
ठंडे पानी से डर लगता,
मुँह खोलूँ तो धुँआ निकलता ।
मैं एक महीने से नहीं नहाया,
तेरी ठिठुरन भी है तीर चुभाया ।।
सर्दी – रानी , सर्दी – रानी !
पहले गंजी पैंट, पे ही रहते थे,
सुबह उठ जौगिंग करते थे ।
लेकिन जबसे यहाँ तू आई है,
परेशानी सबकी बढ़ाई है ।।
सर्दी – रानी , सर्दी – रानी !
किसी को कुर्ता-पैंट नसीब नहीं,
तो किसी को स्वेटर-जैकेट पहनाई है ।
गरीब धोती ओढ़ने पर मजबूर,
और अमीरों के पास तेरे लिए कंबल और रजाई है ।।
सर्दी – रानी , सर्दी – रानी !
तुम सबका अच्छे से रखो ख्याल ।
गरीब-अमीर, ये दोनों तुम्हारे बच्चे हैं,
बस होने ना देना इन्हें मलाल ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 18/01/2021
समय – 03:57 (सुबह)
संपर्क – 9065388391