सर्दी के दोहे
सर्दी का मौसम आया, ठंड बहुत है छाई
स्वेटर जर्सी अब पहनो ,ढूँढों गर्म रजाई
मूँगफली संग रेवड़ी , खाओ खूब खजूर
सर्दी नजर ना आएगी, मानो बात हुजूर
सोहबत-ए-मयख्वारी ,दूर खाँसी जुखाम
मद्य सेवन सीमित हो ,रंगीन हो हर शाम
बिस्तर गर्म तुम कीजो, हाथ मुख ना धोएँ
पीकर चाय सो जाओ, बाहर ठंड कंपाए
नीर गर्म जरा कीजो , बदन तेल लगाएं
देह पर पानी डालो, जल फिसल झट जाए
आवागमन से बचिए , बाहर ठंड प्रकोप
मोबाइल प्रयोग कर , ठंड हो जाए लोप
मन हो दिलबर मिलन का,प्रेमी को बुलाओ
आँख बचाकर जगत से,चंपत तुम हो जाओ
सर्दी ऋतु है मनचली, दिन अल्प लंबी रात
दिन कट जाएगा कहीं, कटे ना लंबी रात
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली(कैथल)-9896872258