सर्दी के दिन आए रे .
सर्दी आई रे …..
गर्मी बीत गई रे भइया ..
सर्दी के दिन आए रे ..
सूटकेस में बैठे स्वेटर ..
ज़ोर -ज़ोर चिल्लाए रे l
कैप्री, शॉर्ट्स से काम न होगा ,
बिन बाजु आराम न होगा ,
ए.सी . को आराम मिलेगा ,
पंखा भी अब नहीं चलेगा ,
गर्मी बीत गई रे भइया ..
सर्दी के दिन आए रे ..
अंगीठी अब हर रोज़ जलेगी ,
छाँछ,दही नहीं मिलेगी ,
कॉफी घर में खूब बनेगी ,
चप्पल पैरों में नहीं फबेगी ,
जूतों की शोभा बढ़ेगी ,
सर पर गर्म टोपी सजेगी ,
हाथों में दस्ताने l
कट-कटाते दांतों से ..
एक ही आवाज़ आएगी …..
गर्मी बीत गई रे भइया ..
सर्दी के दिन आए रे ..
लेखिका – मीनू यादव