*सर्दी की देखो ऋतु आई (गीत)*
सर्दी की देखो ऋतु आई (गीत)
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सर्दी की देखो ऋतु आई
चिड़िया चुप है कौआ सोता
सुबह देर से दिन है होता
सूरज ने कब शक्ल दिखाई
शाम रोज जल्दी आ जाती
शीत-लहर हड्डियाँ कॅंपाती
स्वेटर ने कब ठंड भगाई
मौसम में फैला सन्नाटा
दिन में भी निकलो तो घाटा
और कहें कैसे हैं भाई
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.) मो. 9997615451