सर्दी आई!
सर्दी आई ! सर्दी आई !
कंबल औड़कर सो जाओ भाई।
सर्दी आई ! सर्दी आई !
बाहर ना निकलो घर से भाई।
ठंड से बेहाल है हाल,
इतनी ठंड है कि नाक है लाल।
जब बाहर निकलने का मोका आया,
तभी ठंडी हवा का झोंका आया।
अभी निकली थी थोड़ी सी धूप,
पर मौसम ने नही बदले अपने रूप।
गर्मी सर्दी पर कर रही है वार,
पर सर्दी जाने को नही है त्यार।
अभी भी कड़ाके की ठंड है छाई,
हीटर लगाकर सो जाओ भाई।
सर्दी आई !
सर्दी आई !
– सतबीर सिंह