सर्कस
मेले में बीच बाजार,
तंबू लगा हुआ विशाल,
सर्कस का है प्रचार,
मन बहलाए जोकर इंसान ।
कर्तव्य दिखाते अजीब सजीव,
भालू बंदर को भी नचाते,
रस्सी पर चल सबको चौंकाते ,
कभी हंँसाते जोकर बन जाते ।
शारीरिक संतुलन है दिखाते ,
एक पहिए की साइकिल चलाते ,
छल्ले को कमर में घुमाते ,
लटक लटक कर उछल कूद मचाते ।
हंँसाते कभी कभी चौकाते ,
सर्कस का सभी आनंद उठाते ,
न जाने फिर कहांँ है जाते ,
सर्कस दिखाने औरों को रिझाने ।
✍? बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।