सरहद पे जवान
खड़े सरहद पे जो जवान हैं
मेरे भारत की दृढ़ चट्टान हैं।
जिनके फौलादी होते हैं सीने
भुजबल में जिनकी दमखम है
जिनकी कठिन त्याग तपस्या
के बल पर ही ज़िन्दा हम हैं
वो ही मेरे देश की शान हैं
खड़े सरहद पे जो जवान हैं
मेरे भारत की दृढ़ चट्टान हैं।
न ही मौसम की चिन्ता है
न अब पर्वों का आकर्षण
न ही रिश्तों की है परवाह
देशसेवा का लिया है प्रण
देश की खातिर देते प्राण हैं
खड़े सरहद पे जो जवान हैं
मेरे भारत की दृढ़ चट्टान हैं।
हमारे इक मूर्ख पड़ोसी ने
किया बड़ा पीछे से घात
धोखे से निहत्थे वीरों पर
विस्फोटक से किया है आघात
दिखाना अब अपनी पहचान है
खड़े सरहद पे जो जवान हैं
मेरे भारत की दृढ़ चट्टान हैं।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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